Shani Stuti: शनिवार को इस विधि से करें शनि स्तुति, शनि दोष की मुक्ति के लिए करे शनि स्तुति

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  Shani Stuti:  शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इनको न्याय और कर्मफल के दाता कहा जाता है। जो लोग इस दिन विधि विधान से शनिदेव की पूजा करते हैं उनके जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते है शनि स्तुति और इसका महत्व। शनि देव स्तुति नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च । नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥ नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च । नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।। नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: । नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥ नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: । नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥ नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते । सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥ अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते । नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥ तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च । नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥ ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे । तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥ देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: । त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥ प्रसाद कुरु...

कुंडली में शनि की स्थिति तय करती है, आप राजा बनेंगे या रंक चलिए जानते हैं । कैसे ?

 शनि ग्रह कुंडली के 12 घरों में से किसी भी घर में स्थित हो सकते हैं। जिस घर में शनि होते हैं, वहां उस घर के प्रभावों पर विशेष रूप से उनका असर होता है। कुंडली के प्रत्येक घर का अपना महत्व होता है, और शनि की उपस्थिति उस घर से संबंधित क्षेत्रों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यहां 12 घरों में शनि की उपस्थिति का सामान्य प्रभाव दिया गया है:



1. **पहला घर (लग्न भाव)**  

   शनि यहां होने पर व्यक्ति गंभीर, मेहनती और स्थिर स्वभाव का होता है, लेकिन कभी-कभी आत्मविश्वास में कमी और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।


2. **दूसरा घर (धन भाव)**  

   शनि दूसरे घर में होने पर धन की स्थिरता और आय में देरी हो सकती है, लेकिन धैर्य से काम करने पर धन संचित होता है। परिवार से संबंधों में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं।


3. **तीसरा घर (पराक्रम भाव)**  

   इस घर में शनि व्यक्ति को साहसी और मेहनती बनाता है, लेकिन भाई-बहनों से कुछ दूरी हो सकती है। यात्रा और लेखन से जुड़े कार्यों में सफलता मिल सकती है।


4. **चौथा घर (सुख भाव)**  

   शनि चौथे घर में होने पर घर, वाहन, और संपत्ति से जुड़े मामलों में देरी हो सकती है। माता के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है, लेकिन मेहनत से सुख की प्राप्ति होती है।


5. **पाँचवां घर (विद्या भाव)**  

   शनि की उपस्थिति यहाँ शिक्षा और प्रेम संबंधों में देरी कर सकती है। हालांकि, गंभीर अध्ययन और मेहनत से शिक्षा में सफलता मिलती है। संतान के साथ भी संबंधों में समस्याएं आ सकती हैं।


6. **छठा घर (शत्रु भाव)**  

   छठे घर में शनि शुभ फल देता है। व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और रोगों से मुक्ति मिलती है। कड़ी मेहनत से व्यक्ति को सफलता मिलती है।


7. **सातवां घर (व्यवसाय/विवाह भाव)**  

   इस घर में शनि की उपस्थिति विवाह में देरी कर सकती है और जीवनसाथी के साथ तनाव हो सकता है। व्यवसाय में स्थिरता और साझेदारियों में दिक्कतें आ सकती हैं।


8. **आठवां घर (आयु भाव)**  

   शनि यहां होने पर अचानक लाभ या हानि हो सकती है। व्यक्ति को लंबी उम्र मिल सकती है, लेकिन जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। गुप्त विज्ञानों और शोध में रुचि हो सकती है।


9. **नौवां घर (भाग्य भाव)**  

   शनि नौवें घर में होने पर भाग्य में देरी करता है, लेकिन व्यक्ति कर्म से अपना भाग्य स्वयं बनाता है। धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में रुचि होती है।


10. **दसवां घर (कर्म भाव)**  

   शनि यहां बहुत शुभ माना जाता है। व्यक्ति को करियर में स्थिरता, प्रसिद्धि और सफलता मिलती है। यह व्यक्ति को गंभीर और जिम्मेदार बनाता है।


11. **ग्यारहवां घर (लाभ भाव)**  

   शनि की उपस्थिति यहाँ अच्छे लाभ और आय के अवसर प्रदान करती है। व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है और लंबी अवधि में आर्थिक स्थिरता आती है।


12. **बारहवां घर (व्यय भाव)**  

   शनि बारहवें घर में होने पर व्यक्ति को विदेश यात्राओं या आध्यात्मिक क्षेत्र में रुचि हो सकती है। हालांकि, खर्चों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है, वरना धन हानि हो सकती है।


शनि जिस भी घर में स्थित होते हैं, वहां उनकी स्थिति के आधार पर प्रभाव को समझने के लिए संपूर्ण कुंडली का विश्लेषण करना ज़रूरी होता है।

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