इस वर्ष श्रावण का अधिकमास, भगवान महाकालेश्वर की निकलेगी 10 सवारी जानिए पूरी जानकारी
Ujjain: 19 साल बाद 2023 में बन रहा यह विशेष योग, उज्जैन में बाबा की निकलेगी 10 सवारियां, जानें तारीख
Mahakal Ki Shahi Sawari: 2023 में 19 सालों बाद महाकाल की नगरी में विशेष संयोग बन रहा है। अगले साल अधिक मास होने की वजह से बाबा की 10 सवारियां निकलेंगी। इससे भक्तों को ज्यादा से भगवान के दर्शन करने को मिलेंगे।
उज्जैन: 2023 में बाबा महाकाल (mahakal ki sawari date) की भव्य सवारी का लाभ भक्त ज्यादा उठा पाएंगे। अधिक मास के चलते अगले साल सवारी की संख्या बढ़ेगी। तीनों लोकों में पूजनीय बाबा महाकाल की सावन महीने में निकलने वाली सवारी का इंतजार सारा संसार करता हैं। जब गाजे-बाजे के साथ महाकालेश्वर भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकलते हैं। भक्त भी उनकी मनमोहक छवि के दर्शन कर रोमांचित हो उठते हैं। पिछले 2 साल से कोरोना के चलते श्रद्धालु बाबा महाकाल की सवारी का दर्शन लाभ नहीं उठा पा रहे थे।
महामारी का संकट टल जाने के बाद देशभर से भारी संख्या में भक्तगण अपनी आस्था और विश्वास लिए उज्जैन आ रहे है। सावन की सवारी को लेकर सभी के मन में खास उत्साह और उमंग हैं। अभी तक सावन की चार सवारियां निकल चुकी हैं, अब भादो मास की दो सवारियां निकलना बाकी है। इसी तरह हर साल कुल छह सवारियां निकलती है। जबकि अगले साल उत्साह और भी बढ़ जाएगा। 19 सालों के बाद 2023 में भादो के बाद अधिक मास का योग बन रहा है।
इसके चलते हमेशा से इतर बाबा की कुल 10 सवारियां निकलेंगी। अधिक मास की चार, सावन की चार और भादौ की दो सवारियां मिलाकर भक्त कुछ 10 सवारियों का आनंद ले सकेंगे। इसमें उज्जैन के अन्य महादेव मंदिरों के स्वरूप को भी इन सवारियों में शामिल किया जाएगा। इस तरह सितंबर तक सवारियां रहेंगी।
2023 की सवारियों के क्रम इस तरह रहेंगे
10 जुलाई को पहली सवारी
17 जुलाई को दूसरी सवारी
24 जुलाई को तीसरी सवारी
31 जुलाई को चौथी सवारी
7 अगस्त को पांचवी सवारी
14 अगस्त को छठी सवारी
21 अगस्त को सातवीं सवारी
28 अगस्त को आठवीं सवारी
4 सितंबर को नौवीं सवारी
11 सितंबर को अंतिम शाही सवारी
गौरतलब है कि महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार होलकर परिवार ने कराया था। वहीं, सावन में निकलने वाली सवारी की शुरुआत सिंधिया राजवंश से की गई थी। पहले केवल दो या तीन सवारियां निकाली जाती थी। बाद में विख्यात ज्योतिष पद्मभूषण पंडित सूर्यनारायण व्यास के परामर्श और तत्कालीन प्रशासनिक महानुभावों की सहमति से सावन की शुरुआत से ही सवारी निकालने का आगाज किया गया। महाराष्ट्रीयन कैलेंडर के अनुसार अमावस्या से अमावस्या तक श्रावण मास माना जाता है। इसीलिए भादो महीने के दो सोमवार को भी सवारी निकाली जाती है। आज भी महाकाल मंदिर में एक अखंड दीप सिंधिया परिवार के नाम से प्रज्वलित किया जाता है।
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