कुंडली में शनि की स्थिति तय करती है, आप राजा बनेंगे या रंक चलिए जानते हैं । कैसे ?

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 शनि ग्रह कुंडली के 12 घरों में से किसी भी घर में स्थित हो सकते हैं। जिस घर में शनि होते हैं, वहां उस घर के प्रभावों पर विशेष रूप से उनका असर होता है। कुंडली के प्रत्येक घर का अपना महत्व होता है, और शनि की उपस्थिति उस घर से संबंधित क्षेत्रों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यहां 12 घरों में शनि की उपस्थिति का सामान्य प्रभाव दिया गया है: 1. **पहला घर (लग्न भाव)**      शनि यहां होने पर व्यक्ति गंभीर, मेहनती और स्थिर स्वभाव का होता है, लेकिन कभी-कभी आत्मविश्वास में कमी और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 2. **दूसरा घर (धन भाव)**      शनि दूसरे घर में होने पर धन की स्थिरता और आय में देरी हो सकती है, लेकिन धैर्य से काम करने पर धन संचित होता है। परिवार से संबंधों में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं। 3. **तीसरा घर (पराक्रम भाव)**      इस घर में शनि व्यक्ति को साहसी और मेहनती बनाता है, लेकिन भाई-बहनों से कुछ दूरी हो सकती है। यात्रा और लेखन से जुड़े कार्यों में सफलता मिल सकती है। 4. **चौथा घर (सुख भाव)**      शनि चौथे घर में होने पर घर, वाहन, और संपत्ति से जुड़े मामलों में देरी हो

रुद्राक्ष के लाभ भगवान शिव को प्रिय है रुद्राक्ष।चलिए जानते अलग अलग रुद्राक्ष धारण करने के लाभ

 

रुद्राक्ष के लाभ :



पौराणिक कथा के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु से हुई है। मान्यता है कि रुद्राक्ष पहनने से इंसान की मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। जो इसे धारण कर भोलेनाथ की पूजा करता है उसे जीवन के अनंत सुखों की प्राप्ति होती है। रुद्राक्ष के हर एक मुख का अलग महत्व होता है, आइए जानते हैं।



एकमुखी रुद्राक्ष
एक मुखी इसे साक्षात शिव का स्वरूप कहा गया है। इसे धारण करने से जीवन में किसी तरह की कमी नहीं रहती। एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है। 

दो मुखी रुद्राक्ष
पुराणों में दोमुखी रूद्राक्ष को शिव-शक्ति का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास और मन की शांति प्राप्त होती है एवं इसे धारण करने से कई तरह के पाप दूर होते हैं।

तीन मुखी रुद्राक्ष
इस रूद्राक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिगुणात्मक शक्तियां होतीं हैं। यह परम शांति, खुशहाली दिलाने वाला रुद्राक्ष है। इसे धारण करने से घर में सुख-संपत्ति, यश, सौभाग्य का लाभ होता है।

चार मुखी रुद्राक्ष
इसे ब्रह्मा का रूप माना जाता है। यह इंसान को जीवन का उद्देश्य, काम और मोक्ष देने वाला है। त्वचा के रोगों, मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता में इसका विशेष लाभ होता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष
इसे रूद्र का साक्षात स्वरूप बताया है। यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। माला के लिए इसी रूद्राक्ष का उपयोग किया जाता है। इसको पहनने से मंत्र शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है।

छः मुखी रुद्राक्ष
इसे भगवान कार्तिकेय का रूप माना गया है। इसे ज्ञान और आत्मविश्नास के लिए खास माना जाता है। इसे दाहिने हाथ में पहनना चाहिए।

सात मुखी रुद्राक्ष
इसको सप्तऋषियों का स्वरूप माना जाता है। इसको धारण करने से आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है। इसके धारण से मंत्रों के जप का फल प्राप्त होता है।

अष्टमुखी रुद्राक्ष
यह रुद्राक्ष अष्टभुजा देवी और देवों में सबसे पहले पूजे जाने वाले गणेशजी का स्वरूप है। इसे धारण करने से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति और मुकदमों में सफलता प्राप्त होती है। अष्टमुखी रुद्राक्ष अनेक प्रकार के शारीरिक रोगों को भी दूर करता है।

नौ मुखी रुद्राक्ष
नौमुखी रूद्राक्ष नवदुर्गा तथा नवग्रह का स्वरूप होने के कारण अधिक फलदायक और सुखदायक है। यह अकाल मृत्यु दूर हटानेवाला, धन, यश और कीर्ति प्रदान करने में लाभदायक है।

दस मुखी रुद्राक्ष

यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से दमा, गठिया, पेट, और नेत्र संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा मुख्य रूप से नाकारात्मक शक्तियों से बचाता है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात रुद्र कहा गया है, जो इसे शिखा में धारण करता है, उसे कई हजार यज्ञ कराने का फल मिलता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष
बारह मुखी रुद्राक्ष कान में धारण करना शुभ बताया गया है। इसे धारण करने से धन-धान्य और सुख की प्राप्ति होती है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष
तेरह मुखी रुद्राक्ष सारी कामनाएं पूरी कराने वाला होता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य शिव के समान पवित्र हो जाता है एवं इसे सिर पर धारण करना चाहिए।

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