Shani Stuti: शनिवार को इस विधि से करें शनि स्तुति, शनि दोष की मुक्ति के लिए करे शनि स्तुति

लक्ष्मी जी की कृपा
दक्षिणावर्ती शंख का महत्व
सभी शंखों में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष महत्व है. एक तरफ जहां सभी शंखों का पेट बाईं ओर खुलता है वहीं इस शंख का पेट दाईं ओर खुलता है. यह शंख दिव्य माना गया है. मान्यता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से लक्ष्मी माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शास्त्रों और वेद-पुराणों में दक्षिणावर्ती शंख को महत्वपूर्ण माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार इस शंख की उत्पत्ति समुंद्र मंथन से हुई थी. इसे मां लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है. कहा जाता है कि जिस घर पर यह शंख होता है वहां मां लक्ष्मी का भी वास होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर रहती है.
इस विधि से रखें दक्षिणावर्ती शंख
दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर रखें और इससे पूरे घर पर छिड़काव करें. इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. घर पर नियमित पूजा में शंख को भी धूप-दीप दिखाएं. इससे घर पर सकारात्मकता आती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर दक्षिणावर्ती शंख रखें. इसमें गंगाजल और कुश रखें. फिर किसी आसन में बैठकर ‘ऊं श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:’ मंत्र का जाप करें. कम से कम इस मंत्र का पांच माला जाप जरूर करे. इससे मां लक्ष्मी का घर पर वास होता है.
दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार
दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं. इसमें एक नर दक्षिणामुखी शंख होते हैं तो वहीं दूसरा मादा दक्षिणमुखी शंख होता है. ऐसा शंख जिसकी परत मोटी और भारी होती है उसे नर दक्षिणावर्त शंख कहते हैं. वही जो शंख पतला और हल्का होता है उसे मादा दक्षिणावर्त शंख कहा जाता है. घर पर रखने के लिए दक्षिणावर्ती शंख को शुभ माना जाता है. मान्यता है कि जिस घर पर दक्षिणावर्ती शंख होता है और नियमित तौर पर इसकी पूजा की जाती है, वहां ना केवल मां लक्ष्मी बल्कि भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद बना रहता है.
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