Shani Stuti: शनिवार को इस विधि से करें शनि स्तुति, शनि दोष की मुक्ति के लिए करे शनि स्तुति

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  Shani Stuti:  शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है। इनको न्याय और कर्मफल के दाता कहा जाता है। जो लोग इस दिन विधि विधान से शनिदेव की पूजा करते हैं उनके जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते है शनि स्तुति और इसका महत्व। शनि देव स्तुति नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च । नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥ नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च । नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।। नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: । नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥ नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: । नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥ नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते । सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥ अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते । नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥ तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च । नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥ ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे । तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥ देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: । त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥ प्रसाद कुरु...

लक्ष्मी जी की कृपा चाहिए तो घर में रखिए दक्षिणावर्ती शंख।

 लक्ष्मी जी की कृपा 



दक्षिणावर्ती शंख।: हिंदू धर्म में वाद्य यंत्रों का खास महत्व है. इनमें देवी-देवताओं का वास माना जाता है. इन वाद्य यंत्रों शंख से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताए हैं. शंख को घर के पूजा घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है. पूजा के समय शंख बजाने पूरे घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है. विष्‍णु पुराण के अनुसार शंख में देवी लक्ष्‍मी का वास होता है. शंख के कई प्रकार होते हैं. हिंदू धर्म में कई अलग-अलग तरह के शंखों को महत्‍व दिया गया है. इन सब में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं इस शंख को घर में रखने से क्या फायदे होते हैं और इसे घर में क्यों रखना चाहिए.


दक्षिणावर्ती शंख का महत्व



सभी शंखों में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष महत्व है. एक तरफ जहां सभी शंखों का पेट बाईं ओर खुलता है वहीं इस शंख का पेट दाईं ओर खुलता है. यह शंख दिव्‍य माना गया है. मान्यता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से लक्ष्मी माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शास्त्रों और वेद-पुराणों में दक्षिणावर्ती शंख को महत्वपूर्ण माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार इस शंख की उत्पत्ति समुंद्र मंथन से हुई थी. इसे मां लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है. कहा जाता है कि जिस घर पर यह शंख होता है वहां मां लक्ष्मी का भी वास होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर रहती है.

इस विधि से रखें दक्षिणावर्ती शंख

दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर रखें और इससे पूरे घर पर छिड़काव करें. इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. घर पर नियमित पूजा में शंख को भी धूप-दीप दिखाएं. इससे घर पर सकारात्मकता आती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. लाल कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर दक्षिणावर्ती शंख रखें. इसमें गंगाजल और कुश रखें. फिर किसी आसन में बैठकर ‘ऊं श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:’ मंत्र का जाप करें. कम से कम इस मंत्र का पांच माला जाप जरूर करे. इससे मां लक्ष्मी का घर पर वास होता है.

दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार

दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं. इसमें एक नर दक्षिणामुखी शंख होते हैं तो वहीं दूसरा मादा दक्षिणमुखी शंख होता है. ऐसा शंख जिसकी परत मोटी और भारी होती है उसे नर दक्षिणावर्त शंख कहते हैं. वही जो शंख पतला और हल्का होता है उसे मादा दक्षिणावर्त शंख कहा जाता है. घर पर रखने के लिए दक्षिणावर्ती शंख को शुभ माना जाता है. मान्यता है कि जिस घर पर दक्षिणावर्ती शंख होता है और नियमित तौर पर इसकी पूजा की जाती है, वहां ना केवल मां लक्ष्मी बल्कि भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद बना रहता है.

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