कुंडली में शनि की स्थिति तय करती है, आप राजा बनेंगे या रंक चलिए जानते हैं । कैसे ?

चित्र
 शनि ग्रह कुंडली के 12 घरों में से किसी भी घर में स्थित हो सकते हैं। जिस घर में शनि होते हैं, वहां उस घर के प्रभावों पर विशेष रूप से उनका असर होता है। कुंडली के प्रत्येक घर का अपना महत्व होता है, और शनि की उपस्थिति उस घर से संबंधित क्षेत्रों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यहां 12 घरों में शनि की उपस्थिति का सामान्य प्रभाव दिया गया है: 1. **पहला घर (लग्न भाव)**      शनि यहां होने पर व्यक्ति गंभीर, मेहनती और स्थिर स्वभाव का होता है, लेकिन कभी-कभी आत्मविश्वास में कमी और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 2. **दूसरा घर (धन भाव)**      शनि दूसरे घर में होने पर धन की स्थिरता और आय में देरी हो सकती है, लेकिन धैर्य से काम करने पर धन संचित होता है। परिवार से संबंधों में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं। 3. **तीसरा घर (पराक्रम भाव)**      इस घर में शनि व्यक्ति को साहसी और मेहनती बनाता है, लेकिन भाई-बहनों से कुछ दूरी हो सकती है। यात्रा और लेखन से जुड़े कार्यों में सफलता मिल सकती है। 4. **चौथा घर (सुख भाव)**      शनि चौथे घर में होने पर घर, वाहन, और संपत्ति से जुड़े मामलों में देरी हो

भगवत गीता के अनमोल मंत्र



 सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी है भगवत गीता के अनमोल मंत्र



Geeta Ka Gyan: श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण के उन उपदेशों का वर्णन है, जो उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को दिया था. गीता में दिए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और मनुष्य को  जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं. माना जाता है कि गीता की बातों का अनुसरण करने से जीवन बदल जाता है और व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है. आइए जानते हैं श्रीमद्भागवत गीता के उन अनमोल मंत्रों के बारे में जो हमें जीवन की कई अहम बातें बताते हैं. 




Geeta Updesh: गीता की बातों को मानने से जीवन बदल जाता है. इसका अनुसरण करने वाले व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है. आइए जानते हैं श्रीमद्भागवत गीता के अनमोल मंत्रों के बारे में.
गीता की अहम बातें



1.गीता में श्री कृष्ण कहते हैं कि किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए मन पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है. काम करते वक्त अपने मन को हमेशा शांत और स्थिर रखना चाहिए. क्रोध बुद्धि का नाश करता है और इसकी वजह से बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं. इसलिए मन को शांत रखने का प्रयास करें.

 2. श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार हमें कोई भी कर्म बिना फल की इच्छा के बिना ही करना चाहिए. अगर किसी कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो सिर्फ और सिर्फ अपने कर्मों पर ही केंद्रित करें. मन में कोई भी अन्य विचार आपको आपके लक्ष्य से भटका सकता है.


3. गीता के अनुसार व्यक्ति को कभी भी अपने कर्मों पर संदेह नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति खुद का सर्वनाश कर बैठता है. इसलिए सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो जो भी कार्य करें उसे पूरे विश्वास के साथ बिना किसी संदेह के पूरा करें.


4.  गीता में श्री कृष्ण कहते हैं मनुष्य को किसी भी वस्तु के प्रति अत्यधिक लगाव नहीं रखना चाहिए. यह लगाव ही मनुष्य के दुख और असफलता का कारण बनता है. अत्यधिक लगाव से व्यक्ति में क्रोध और दुख का भाव उत्पन्न होता है. इसकी वजह से वह अपने कर्म पर केंद्रित नहीं कर पाता है. इसलिए मनुष्य को अत्यधिक लगाव से बचना चाहिए.


5.श्री कृष्ण के अनुसार किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने भीतर छिपे डर को खत्म करना चाहिए. यह सीख देते हुए कृष्ण ने अर्जुन को कहा था कि हे अर्जुन तुम निडर होकर युद्ध करो. अगर युद्ध में तुम मारे गए तो स्वर्ग मिलेगा और अगर जीत गए तो धरती पर राज मिलेगा. इसलिए अपने मन से डर को खत्म कर दो.


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पशुपतिनाथ व्रत की विधि एवं कथा

शिव महापुराण में से बताए गए प्रदीप जी मिश्रा जी के अदभुत उपाय

इस वर्ष श्रावण का अधिकमास, भगवान महाकालेश्वर की निकलेगी 10 सवारी जानिए पूरी जानकारी