कुंडली में शनि की स्थिति तय करती है, आप राजा बनेंगे या रंक चलिए जानते हैं । कैसे ?

चित्र
 शनि ग्रह कुंडली के 12 घरों में से किसी भी घर में स्थित हो सकते हैं। जिस घर में शनि होते हैं, वहां उस घर के प्रभावों पर विशेष रूप से उनका असर होता है। कुंडली के प्रत्येक घर का अपना महत्व होता है, और शनि की उपस्थिति उस घर से संबंधित क्षेत्रों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यहां 12 घरों में शनि की उपस्थिति का सामान्य प्रभाव दिया गया है: 1. **पहला घर (लग्न भाव)**      शनि यहां होने पर व्यक्ति गंभीर, मेहनती और स्थिर स्वभाव का होता है, लेकिन कभी-कभी आत्मविश्वास में कमी और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। 2. **दूसरा घर (धन भाव)**      शनि दूसरे घर में होने पर धन की स्थिरता और आय में देरी हो सकती है, लेकिन धैर्य से काम करने पर धन संचित होता है। परिवार से संबंधों में कुछ दिक्कतें हो सकती हैं। 3. **तीसरा घर (पराक्रम भाव)**      इस घर में शनि व्यक्ति को साहसी और मेहनती बनाता है, लेकिन भाई-बहनों से कुछ दूरी हो सकती है। यात्रा और लेखन से जुड़े कार्यों में सफलता मिल सकती है। 4. **चौथा घर (सुख भाव)**      शनि चौथे घर में होने पर घर, वाहन, और संपत्ति से जुड़े मामलों में देरी हो

2024 में कब है सर्व पितृ अमावस? सर्व पितृ अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें

 

2024 सर्व पितृ अमावस्या :

कब है सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या 



अश्विन अमावस्या तिथि प्रारंभः मंगलवार 01 अक्टूबर 2024 को रात 09:39 बजे
अश्विन अमावस्या तिथि समापनः बुधवार 02 अक्टूबर 2024 को रात 12:18 बजे (यानी 3 अक्टूबर की सुबह)
अमावस्या श्राद्धः बुधवार 2 अक्टूबर 2024 को
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध मुहूर्त (shradh muhurt)
कुतुप मुहूर्तः सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:34 बजे
अवधिः 00 घण्टे 47 मिनट्स
रौहिण मुहूर्तः दोपहर 12:34 बजे से दोपहर 01:21 बजे तक
अवधिः 00 घण्टे 47 मिनट्स
अपराह्न कालः दोपहर 01:21 बजे से 03:43 बजे तक
अवधिः 02 घण्टे 22 मिनट्स

सर्व पितृ अमावस्‍या का श्राद्ध अनिवार्य



sarva pitru amavasya: अश्विन अमावस्या तिथि सर्व पितृ अमावस्‍या के नाम से जानी जाती है। इस दिन ऐसे सभी लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु चतुर्दशी, पूर्णिमा या अमावस्या को हुई हो। इसके अलावा इस तिथि पर ऐसे लोगों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्‍यु की तिथि के बारे में पता नहीं होता है या श्राद्ध पक्ष के अन्‍य दिनों पर जिनका श्राद्ध नहीं किया गया हो। इसलिए इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं।

सर्व पितृ अमावस्‍या पर क्‍या करें

मिर्जापुर के पुरोहित कमलेश त्रिपाठी के अनुसार श्राद्ध कर्म में पूर्वजों को हमेशा ताजे और सुगंधित फूल ही चढ़ाने चाहिए। इसके लिए गुलाब या सफेद रंग के फूल चुन सकते हैं।
पितरों का पिंडदान नदी या झील के किनारे ही किया जाना चाहिए।

सर्व पितृ अमावस्या पर क्या न करें 

सर्व पितृ अमावस्‍या पर ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान देने का बड़ा महत्‍व है। इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराने या दान देने से पुण्य मिलता है। लेकिन चरित्रहीन, रोगी या मांस खाने वाले व्‍यक्‍ति को श्राद्ध कर्म में नहीं बुलाना चाहिए।
सर्व पितृ अमावस्‍या पर चना, हरी सरसों के पत्ते, जौ, मसूर की दाल, मूली, लौकी, खीरा और काला नमक न खाएं।
सर्व पितृ अमावस्‍या पर अपने घर आने वाले किसी भी जीव या अतिथि का अनादर नहीं करना चाहिए। इससे आपके पितर आपसे नाराज हो सकते हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पशुपतिनाथ व्रत की विधि एवं कथा

शिव महापुराण में से बताए गए प्रदीप जी मिश्रा जी के अदभुत उपाय

इस वर्ष श्रावण का अधिकमास, भगवान महाकालेश्वर की निकलेगी 10 सवारी जानिए पूरी जानकारी